अंजनी लाला
हे अंजनी के लाला तुम सा ना कोई प्रतिपाला।
हे भक्तों के रक्षक प्रभु, तुम सा न कोई रखवाला।।
संजीवन बूटी लाए, लक्ष्मण जी हैं जिलाए।
ले आए खुद गरुड़ को,जब नागपाश डाला।।
सोने की सारी लंका, पल भर में जला डाली।
प्रभु का बजा के डंका, खुद काल खोल डाला।। कुंभकरण घबराया, रावण तक थर्राया।
सुरसा ने खाया चक्कर, देखा जो रूप निराला।।
जिस ने चुराया प्रभु को, छोड़ा नहीं है उसको।
पाताल जाके पकड़ा, अहिरावण मार डाला।।
हे अंजनी के नंदन, सब देव करें अभिनंदन।
खुद ध्याते हैं प्रभु तुमको, कहलाते राम लाला।।
हे सेवा के अवतारी, आई है विपदा भारी।
मेरी बिगड़ी जाए संवारी, हे नाथ हे कृपाला।।
कहलाते तुम हो सेवक, भक्तों के तुम हो केवट।
भाते हैं जो भी तुमको, झट पार लगा डाला।।
जो कोई तुमको जापे, भूत प्रेत सब कांपे।
मिटते हैं सभी के संकट, कहलाते तुम हो बाला।।
मेहंदीपुर में जली है, प्रभु ‘ज्योति’ दिव्य निराली।
दुनिया करे है सजिदा, जलवा है तेरा आला।।