प्यार

मैंने तुमसे प्यार किया है, इसमें मेरी खता नहीं।
पर कितना प्यार किया है तुमसे, इसका मुझको पता नहीं।।

हर पल ही घूमा करता था, गात तेरा चूमा करता था।
किसने लगन लगाई इतनी, इसका मुझको पता नहीं।।

दरिया सागर छोटे पड़ गए, सारे अगन बुझाने में।
किसने ऐसी अगन लगाई, इसका मुझको पता नहीं।।

तुम बिन सारा जग सूना है, मनवा ये ही कहता है।
रात दिवस पीने पर भी, मन कहता मुझ को धता नहीं।।

जो तस्वीर बसाई दिल में, वो वैसी की वैसी है।
किसने फ्रेम जड़ा है ऐसा, इसको मुझको पता नहीं।।

चक्कर पर चक्कर हैं काटे, मंजिल पर मिल पाई ना।
जला पतंगा खुद ‘ज्योति’ पर, इसमें उसकी खता नहीं।।

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