संदोह

अल्पता से स्वल्पता तक आ गया हूं।अल्पना से कल्पना तन छा गया हूं।अब बीतते हैं रात दिन सब रीते रीते।हर सांस में कुछ तरह समा गया हूं।। झाड़ियों को पा मिला सुकून मुझको।नागफनियों ने डसा था खूब मुझको। हैअब नहीं शिकायत मुझे किसी बात की है।रक्त से अपनों ने नहलाया … Read More

जिन्दगी और मौत

कितनी अजीब है ये जिन्दगीजो कि हर पलमौत के साथआंख मिंचौली खेलती रहती है।कितनी मासूम है ये पगलीजिसे ये भी नहीं पताकि वोकभी किसी की सगी नहीं हुई।उसने हमेशा ही सबको छला हैइस परकब जोर किसका चला है।और ये बेवकूफउसको अपना सगा मानती है।उसके बगैरएक पग भी चलना नहीं जानती … Read More

नीलकंठ

नीलकंठ को देखकरबालक नेफ्लाइंग किस कीऔर कहा –हे नीलकंठ !तुम नीले रहनाजाकर के भगवान से कहनाऔर हां यदि सोते होंतो जगा कर कहनाकि मुझे हर साल पास करा देंपरीक्षा में अच्छे नंबर दिलवा दें।नीलकंठ पंख फैलाचला गगन की ओरउधर बाल ने कदम बढ़ाएले आशा की डोर।